पीएम नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी चुनौती बनेंगे अरविंद केजरीवाल सहायता मानला जातो वनमा या कामाला

 नई दिल्ली। मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना शुरू होते ही आए रुझानों के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यालय में जश्न बढ़ना शुरू हो गया था. उस जश्न के बीच एक पार्टी कार्यकर्ता हाथों में बैनर लेकर पहुंचा, जिस पर लिखा था- 2024 202 मोदी बनाम केजरीवाल. यह संकेत कोई दर की कोडी नहीं है. दिल्ली में बीजेपी के छवीकरण के प्रयासों के बावजद आप की बडी जीत के बाद स्वर उठने लगे हैं कि दिल्ली के मख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का राष्ट्रीय राजनीति में कद बढेगा. वह बिखरे विपक्ष के सर्वमान्य चेहरे के तौर पर उभर सकते हैं. हालांकि उनका मानना है कि केजरीवाल को इसके लिए अभी लंबा रास्ता तय करना होगा विशेषज्ञों की राय में अरविंद केजरीवाल को अपने आप को राशीय नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आधार बनाने की जरूरत होगी. अभी आम आदमी पार्टी को निर्वाचन आयोग द्वारा प्रादेशिक पार्टी की मान्यता प्राप्त है. वह 2017 में पंजाब में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी. हालांकि उसकी राष्ट्रीय आकांक्षाओं को तब झटका लगा जब गोवा चुनाव तथा पिछले दो लोकसभा चुनावों में उसे असफलता हाथ लगी. उसने 2014 में पंजाब में चार लोकसभा सीटें जीतीं और 2019 में महज एक, जबकि दिल्ली के मतदाताओं ने दोनों बार लोकसभा चुनावों में उसे नकार दिया. केजरीवाल ने 2014 में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें तीन लाख से अधिक वोटों से हार का स्वाद चखना पड़ा था. दिल्ली में बीजेपी के हाथों 2017 के नगर निगम चुनावों में हार के बाद आप की रणनीति में बदलाव देखा गया और उसने फिर से राष्ट्रीय राजधानी में विकास पर ध्यान देना शुरू कर दिया. राजनीतिक विश्लेषक और जेएनयू में प्रफेसर संजय पांडेय ने कहा, %अभी यह कहना जल्दबाजी होगी, चूंकि यह स्थानीय चुनाव है लेकिन क्या वह अखिल भारतीय स्तर पर इसे दोहरा सकते हैं, यह कहना मुश्किल होगा. उनकी पार्टी के पास कोई ठोस आधार या बुनियादी ढांचा नहीं है. यह अभी परिपक्व नहीं है.% जेएनयू प्रफेसर कमल चिनॉय के मुताबिक भारतीय राज व्यवस्था %बहुत जटिल% है जहां लोगों की अलग-अलग राय होती है. उनके मुताबिक केजरीवाल का कद बढ़ेगा, लेकिन राष्ट्रीय नेता बनने में वक्त लगेगा. या बनियादी ढांचा